नमाज़े जनाजा के बाद उसी वुज़ू से दूसरी नमाज पढ़ना कैसा है
कुछ जगहो पर लोग समझते है। कि जिस वुज़ू से नमाज जनाजा पढ़ी हो उससे दूसरी नमाज नही पढ़ी जा सकती हालाकि यह गलत और बे अस्ल बात है। बल्कि इसी वुज़ू से फर्ज हो या सुन्नत व नफ्ल हर नमाज पढ़ना दुरस्त है
(गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफह नः 22)
✍🏻हिन्दी ट्रांसलेट 👉🏻 खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)
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