ग्रुप रज़ा कमेटी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
सवाल
हजरत क्या ईद की नमाज घर पर पढ़ सकते हैं जवाब इनायत फरमाए मेहरबानी होगी❓
साईल मोहम्मद कलीम रज़ा (बनारस)
जवाब
नहीं पढ़ सकते हैं ईदेन के लिए कुछ क़ायदे कवानीन है
सदरु शरिया अलेही रहमा फरमाते हैं ⤵️
ईदेन की नमाज़ वाजिब है मगर सब पर नहीं बल्कि उन्हीं पर जिन पर जुम्मा वाजिब है और उसकी अदा की वही शर्तें हैं जो जुम्मा के लिए हैं सिर्फ इतना फर्क है कि जुम्मा में खुत्बा शर्त है और ईदेन मैं सुन्नत अगर जुम्मा मैं खुत्बा ना पढ़ा तो जुम्मा ना हुआ और उसमें ना पढ़ा तो नमाज हो गई मगर बुरा किया दूसरा फर्क यह है की जुम्मा का खुत्बा नमाज से पहले है और ईदेन का नमाज के बाद अगर पहले पढ़ लिया तो बुरा किया मगर नमाज हो गई लौटाई नहीं जाएगी और खुत्बा का भी एआदा नहीं और ईदेन मैं ना आज़ान है ना एक़ामत सिर्फ दो बार इतना कहने की इजाज़त है (अस्सलातो जामिअतो)
📚 (ब हवाला- आलमगीर- दुर्रे मुख्तार वगैरहुमा- बहार ए शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 4)
घर पर पढ़ना पढ़ें तो चाशत की नमाज पढ़ लें
सदरु शरिया अलेही रहमा फरमाते हैं ⤵️
इमाम ने नमाज पढ़ ली और कोई शख्स बाकी रह गया चाहे वह शामिल ही ना हुआ था या शामिल तो हुआ मगर उसकी नमाज फासिद हो गई तो अगर दूसरी जगह मिल जाए पढ़ ले वरना नहीं पढ़ सकता हां बेहतर यह है की शख्स 4 रकात चाशत की नमाज पढ़े
📚 (ब हवाला दुर्रे मुख्तार - हवाला बहार ए शरीयत जिल्द 1 हिस्सा 4)
✍🏼 अज़ कलम. मोहम्मद अकबर अंसारी (मुंबई)
✍🏻 हिंदी ट्रांसलेट मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)
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