औरतें नमाज़ ए जनाज़ा पढ़ा सकती हैं❓

 ग्रुप रज़ा कमेटी सेमरबारी दुदही कुशीनगर

                         




सवाल 


क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम मसला के बारे में कि क्या औरतें नमाज ए जनाजा पढ़ा सकती हैं जवाब इनायत फरमाएं मेहरबानी होगी❓


साईल मोहम्मद यासिब हरदोही up


जवाब


औरतें जनाजा की नमाज पढ़ा सकती है लेकिन अगर मर्दो ने उसकी इक़तिदा की तो उस की इक़तिदा सही ना होगी अल बत्ता नमाज हो जाएगी दोबारा पढ़ने की जरूरत ना होगी जैसा कि दूर्रे मुख्तार मअ रद्दुल मोहतार मैं है कि ⤵️


كما لو امت امرأة و لو امة لسقوط فرضها بواحد و بقى من الشروط بلوغ الامام تأمل " اھ اور رد المحتار میں ہے کہ " قوله : ( كما لو امت امرأة ) اى امت رجلا فان صلاتها تصح وان لم يصح الاقتداء بها . قوله : ( ولو امة ) اى ساقط من بعض النسخ قوله : ( لسقوط فرضها بواحد ) اى بشخص واحد رجلا كان او امرأة .......... و بهذا تبين انه لا تجب صلاة الجماعة فيها " اھ


📚 ( در مختار مع رد المحتار ج 3 ص 122 : کتاب الصلاۃ ، باب صلاۃ الجنازۃ )


और बहार ए शरीयत में है कि अगर औरत ने नमाज पढ़ाई और मर्दों ने उसकी इक़तिदा तो लौटाई ना जाए कि अगरचे मर्दों की इक़तिदा सही ना होई मगर औरत की नमाज तो हो गई वही काफी है और नमाज ए जनाजा की तकरार जायज नहीं....


📚 (बहार ए शरीयत जिल्द 1 सफा 826)


✍🏼 अज़ क़लम हजरत अल्लामा व मौलाना करीमुल्लाह रिजवी साहब किबला




✍🏻 हिंदी ट्रांसलेट मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)

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