कुफ्री गानो का शरई हुक्म




 सवाल 


क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम व मुफ्तियाने शरअ मतीन इस मसला में कि कुफ्री गाने गाना कैसा है जवाब अता फरमाएं जज़ाकल्लाह खैरा❓


जवाब 


आज कल हिन्दुस्तान मे फिल्मी मनाजिर और उनके गानो के जरिए भी मुसलमानो को काफिर बनाने और उनके इमान व अकीदे को तबाह करने की मुनज्जम साजिश चल रही है फिल्म की मजेदारियो और उसकी लज़्ज़त और गानो की लुत्फ़ अन्दोजी के सहारे ऐसे कड़वे घूंट मुस्लिम नस्लो की घाटी उतारे जा रहे हैं।जिनसे वह कभी बहुत दूर भागते थे और मुसलमान उन्हे बड़ी आसानी से अब हजम करते चले जा रहे हैं। बल्की सही बात यह है।कि आजकल फिल्मों टेलीवीजनो के जरिए काफिर अपने धर्मो का प्रचार कर रहे है। आगे हम चन्द गानो के वह शेर लिख रहे है। जिन का कुफ्र होना इतना जाहिर है। कि उसके लिए किसी आलिम मोलाना से पूछने की कतई जरूरत नही है बल्कि हर आदमी जान सकता है। कि यह खालिस काफिराना बकवासे है।


खुदा भी आसमां से जब जमीन पर देखता होगा

 मेरे महबूब को किसने बनाया सोचता होगा।


अब आगे जो भी हो अन्जाम देखा जाएगा

खुदा तराश लिया और बन्दगी करली

रब ने मुझ पर सितम किया है।


सारे जहा का गम मुझे दे दिया है।   


इन गानो का जायजा लिजिए और देखिए अल्लाह तआला के बारे मे यह अकीदा रखना कि वह आसमान से जब देखता होंगा हालांकि मुसलमानो का अकीदा यह है की अल्लाह रब्बुल इज्जत हर चीज को हमेशा से देखता है।और हमेशा देखेगा खुदाए तआला के बारे मे यह बकवास या मेरे महबूब को बनाने वाले के बारे वह सोचता होगा हालाकि हर चीज का बनाने बाला सिर्फ खुदाए तआला ही है। और उस परबर दिगारे आलम के बारें मे यह बकना कि बह सोचता होगा हालाकि उसका इल्म सोचने से पाक है। यह सब खुले कुफ्र है। इसी तरह दूसरे गाने खुदा तराश लिया और बन्दगी करली कितना बड़ा कुफ्र है। इस्लाम से मजाक और क़ुरआन करीम से ठट्ठा किया गया है। जिसके खुले कुफ्र होने मे जाहिल मुसलमान को भी शक नही है।

तीसरे गाने परबरदिगार आलम को सितम गर बताना उससे सिकवा करना उसकी ना शुक्री करना कि उसने सारे जहान का गम मुझे दे दिया है। यह सब वह कुफ्रियात हैं। जो कितने मूसलमानो से बुलवा कर कहला कर गानो के जरिए उनके ईमान खराब कर दिये हैं और इसलामी हदो से बाहर लाकर खड़ा कर दिया गया है



गलत फ़हमियाँ और उनकी इस्लाह सफह 18_19



वल्लाहो आलमु बिस्सावाब



✍🏻 अज़ क़लम खाकसार नाचीज़ मोहम्मद शफीक़ रज़ा रिज़वी खतीब व इमाम (सुन्नी मस्जिद हज़रत मनसूर शाह रहमतुल्लाह अलैह बस स्टॉप किशनपुर अल हिंद)

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