सवाल
क्या फरमाते हैं उलमा ए दिन व मुफ्तियाने शर ए मतीन इस मसअले में की किसी शख्स का कांच का कारोबार है और बाज़ औक़ात ऐसे भी मौक़ा दर पेश होते हैं कि कुफ्फार के घर जाकर उन के माअबूदे बातिला की तस्वीर को कांच में सेट करके उनके घर में लगाना होता है और तस्वीर भी खुद ही लाना होता है
1️⃣ आया इस तरह का कारोबार करना दुरुस्त है या नहीं ?
2️⃣ और इस तरह की रक़म जायज़ है या नहीं जब कि मईनत की नियत ना हो बहवाला जवाब से नवाज़ दें ?
साईल मोमिन भाई (छत्तीसगढ़)
जवाब
कांच का कारोबार करना जायज़ है मगर आप ने लिखा है कि बाज़ मवाक़े ऐसे दर पेश होते हैं कि कुफ्फार के घर जाकर कांच में उसके मअबूदाने बातिला को खरीद कर के लाना और उसमें सेट करना पड़ता है यह सख्त नाजायज़ और अशद हराम है
📚 जैसा कि फतावा ए मरकज़े तरबीयत व इफ्ता के जिल्द 2 सफा नंबर 582
पर एक सवाल है कि ज़ैद पेंटर आर्टिस्ट है वह मुस्लिम और गैर मुस्लिम दोनों के यहां बोर्ड की पेंटिंग के लिए जाता है और उनके मअबूदे बातिला का नाम पेंट करता है और जय वगैरा जैसे कुफ्रिया कलिमात भी लिखता है उसके जवाब में तहरीर फरमाते हैं ⤵️
ऐसा काम ना जायज़ और अशद हराम और उसकी उजरत भी हराम है और अगर हक़ जानते हुए करता है तो कुफ्र है
इसलिए आप शीशा का कारोबार करें मगर किसी के घर मूर्ति वगैरा लगाने का काम ना करें यह गुनाह पर मदद देना है और सख्त नाजायज़ है इसलिए ग़ाइत दर्जा एहतियात बरतें ताकि दुनिया और आखिरत की सुरखूरवी हासिल हो और ना जानने की बिना पर जो कुछ किया उस से सिदक़ दिल से नादिम हों और आइंदा ना करने का पुख्ता अहद बांधें
والله اعلم بالصواب
✍🏻 अज़ क़लम हज़रत मुफ्ती मोहम्मद रज़ा अमजदी साहब किबला मद्दज़िल आली वन्नूरानी (दारुल उलूम रज़विया बड़ा बरियारपुर मोतिहारी मशरक़ी चंपारण बिहार) साकिन (हरपुरवा बाजपट्टी सीतामढ़ी बिहार)
✍🏻 हिंदी ट्रांसलेट मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)
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