ग्रुप रज़ा कमेटी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
सवाल
जिस बकरे की परवरिश सूअर के दूध से की गई हो और जिस बकरे का पैदाइशी कान ना हो उसकी कुर्बानी करना कैसा है? हवाला के साथ जवाब इनायत फरमाए मेहरबानी होगी
साईल अशरफ रजा
जवाब
जिस बकरे की परवरिश सूअर के दूध से हुई उसकी कुर्बानी जायज है
जैसा कि फतावा ए अलमगीरी में है कि बकरे का बच्चा जिसकी परवरिश गधी और खिंजीर के दूध से होती रही अगर दूध छोड़कर कुछ दिनों घास खाता रहा तो उस के गोश्त खाने में कोई हर्ज नहीं और उसकी कुर्बानी भी जायज है
📚 (फतावा ए अलमगीरी जिल्द 1 सफा 256)
ऐसा ही फतवा ए फैजू रसूल जिल्द 2 सफा 452/453 पर है
जिस बकरे का पैदाइशी तौर पर दोनों कान ना हो या एक कान ना हो उसकी कुर्बानी जायज नहीं
📚 (फतावा ए अलमगीरी जिल्द सफा 297)
اور منسک متوسط میں ہے کہ " ولا الذى لا اذن له خلقة او له اذن واحدة " اھ ( المسلک المتقسط فی المنسک المتوسط ص 314 : باب الھدایا ) اور بدائع امام ملک العلماء میں ہے کہ " ولا يجوز مقطوعة احد الاذنين بكمالها والتى لها اذن واحدة خلقة " اھ
📚( بدائع الصنائع ج 4 ص 214 ) اور ایسا ہی ھدایہ ج 4 ص 446 / در مختار مع شامی ج 9 ص 419 / تبیین الحقائق ج 4 ص 6 )
✍🏼 अज़ क़लम हजरत मौलाना मोहम्मद करीमुल्लाह रिजवी साहब किबला
✍🏻 हिंदी ट्रांसलेट मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)
एक टिप्पणी भेजें