हिजड़ों का पैसा मस्जिद में लगाना कैसा है

 ग्रुप रज़ा कमेटी सेमरबारी दुदही कुशीनगर 

                         




सवाल



क्या फरमाते हैं उलमा ए किराम इस मसले के बारे में की हिजड़ों का पैसा मस्जिद मे लगाया जा सकता है बराए करम जवाब इनायत फरमाएं ❓


साईल हसनैन रज़ा क़ादरी



जवाब



जो मोखन्नस नाचने गाने का काम करते हैं उनका पैसा मस्जिद और कार ए खैर में सर्फ करना नाजायज़ व हराम है क्योंकि नाच गाने की आमदनी शरअन हराम है और हराम माल मस्जिद में लगाना नाजायज़ व हराम है इसलिए मस्जिद हमारी मुकद्दस इबादत गाह इसमें सिर्फ सुथरी जायज़ व हलाल और पाकीज़ा माल लगाना चाहिए हदीस शरीफ में है ⤵️


قال رسول الله صلی الله تعالى عليه وسلم يايها الناس ان الله طيب لا يقبل الا الطيب " اھ


(📚 فتح المنعم شرح صحیح مسلم ج 4 ص 317 : فضل النفقة من الکسب الطیب / النووی شرح مسلم ج 7 ص 100 )


और हुजूर सदरूश्शरिया अलैही रहमां इस तरह के एक सवाल के जवाब में तहरीर फरमाते हैं ⤵️


कि अगर मालूम है कि यह माल जो चंदा वगैरह में दे रहा है बेऐनेही हराम है तो इसका लेना जाइज़ नहीं यूं ही अगर गालिब गुमान इसी का है जब भी ना ले और अगर इसके हराम वह हलाल दोनों किस्म के माल है और यह इल्म नहीं कि यह जो दे रहा है हराम है तो इस सूरत में इहतियात उला है



من اتقى الشبهات فقد استبراء لدينه " اھ


📚 (फतावा ए अमजदीया जिल्द ४ सफा ६०)


और इसी में इसी तरह के सवाल के जवाब में यूं इरशाद फरमाते हैं ⤵️

कि हराम माल से नेक काम नहीं किया जा सकता है हदीस शरीफ में है कि ⤵️


ولا یقبل اللّٰہ الا الطیب 


ऐसे माल को फुक़रा व मसाकिन पर सर्फ कर दिया जाए ना बा नियत तसदीक़ बल्की इस हैसियत से कि जिसका कोई मालिक ना हो वह हक़ फुक़रा है अब यह चाहे तो अपनी तरफ से मस्जिद या मदरसा में सर्फ कर सकते हैं कि अब उनकी हुरमत जाती रही


📚 (फतावा ए अमजदीया जिल्द ४ सफा २३७)


मज़कुरा बातों से साबित हुआ कि अगर उन हिजड़ों का पैसा नाच गाने की कमाई का है तो उसे मस्जिद में लगाना हराम व नाजायज़ है और अगर पैसा मेहनत व मशक़्क़त की कमाई का है तो बिला शुब्ह उसका मस्जिद व मदरसा में लगाना जायज़ है


والله و رسولہ اعلم باالصواب


✍🏻 अज़ क़लम हज़रत अल्लामा व मौलाना मुफ्ती मोहम्मद करीमुल्लाह रिज़वी साहब किबला मद्दज़िल आली वन्नुरानी (खादिमुत्तदरिस: दारुल उलूम मखदूमिया उशिवरा बरज जोगेश्वरी मुंबई)



✍🏻 हिंदी ट्रांसलेट मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)

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