गी़बत से कैसे बचाया जाए

 


✿➺ सुवाल


ग़ीबत करने से कैसे बचा जा सकता हैं और गीबत करने वालो का अज़ाब क्या है ?


❀➺ जवाब:


ग़ीबत करना हराम और जहन्नम मे ले जाने वाला काम है, और गीबत सुनने वाला भी करने वाले की तरह गुनहगार होता है, ग़ीबत और इसकी मज़म्मत पर बहैस तवील है मगर यहाँ मुख्तसर ब्यान किया जाता है, अल्लाह ता'आला कुबूल करे और हमे इस मोहलिकाते खबीसा से बचने की तोफिक दे


कुरआन पाक सुरह हुजूरत आयत 12 मे अल्लाह का इरशाद ए पाक है


और एक दूसरे की गीबत ना करो क्या तुम मे कोई पसंद रखेगा की अपने मरे भाई का गोश्त खाए, तो ये तुम्हे गवारा ना होगा," ग़ीबत इज़्ज़त को ख़तम कर देती है इसीलिये इसे माल और खून के साथ ज़िक्र किया गया।

मुस्लिम शरीफ की हदीस मे है,

एक दूसरे से हसद ना करो, बुगज़ वा अदावत ना रखो, नफ़रत दिलाने वाले काम ना करो, ना आपस मे बेरूखी इख़्तियार करते हुए क़त आ ताल्लुक़ करो, ना एक दूसरे की गीबत करो और ए अल्लाह के बन्दो भाई भाई बन जाओ और फरमाते है मदीने के ताजदार

 गीबत से बचो बेशक गीबत ज़िना से भी सख़्त - तर है 

मैं शबे मेराज ऐसे लोगो के पास से गुज़रा जो अपने चेहरो को अपने नाखूनों से नोच रहै थे, ये लोग गीबत करते और उनकी आबरूरेज़ी करते थे

➺ अल्लाह तआला ने हज़रत ए मूसा (अलैहिस्सलाम) की जानिब वही फरमाई, जो गीबत से तौबा करके मरा वो आखरी शख्स होगा जो जन्नत मे जाएगा और जो गीबत पर कायम रहते हुए मरा वो पहला शख़्स होगा जो जहन्नम मे दाखिल होगा, और ये भी याद रखना चाहिए गीबत, फक़त जुबान ही से नही बल्कि आँख से, हाथ से, इशारो से लिख कर फोन पर, sms पर भी हो सकती हैं, ग़ीबत सुनने से किस तरह बचे इसकी रहनूमाई करते हुए मेरे➺ आका हुज्जत उल इस्लाम इमाम ग़ज़ाली अपनी मक़बूले दो जहाँ तस्नीफ इहिया उल उलूम जिल्द:3, सफा:443, पर फरमाते है :अगर वहाँ से उठ कर जा सकता है या गुफ्तगू का रुख बदल सकता है तो ऐसा ही करे वरना गुनहगार होगा।


📚ह़वाला पर्दादारी, सफा नं.50

     

✒️मौलाना अब्दुल लतीफ न‌ईमी रज़वी क़ादरी बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ बिहार

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