✿➺ सुवाल
अगर कोई शख़्स किसी ग़ैर मेहरम लड़की को अपनी बहन बनाता है तो क्या ये शरीअत मे जाइज़ है क्यूंकी कुछ रिश्ते ऐसे होते है के खून से भी ज़्यादा करीबी बन जाते है तो बहन बनाने के बाद उससे बात कर सकता है या नही?
❀➺ जवाब
अगर इसके जवाज़ पर (यानी जाइज़ होने पर) फतवा जारी कर दिया जाए तो एक अज़ीम फित्रे का दरवाज़ा खोलना है, फिर तो हर लड़का जिस लड़की से शादी करना चाहता है तो उसकी छोटी बहन या उसके घर मे रहने वाली किसी भी लड़की को अपनी मुंह बोली बहन बना लेगा और आना जाना शुरू और मक़सद भी हल फिर अक्सर देखा भी यही जाता है, की जिसे कही शादी करनी हो तो पहले उस घर में किसी काम के बहाने आने जाने की रास्ता खोलता है, उस घर के बच्चो को चीज़ दिला कर, वगेरा वगेरा, में ये नही कहता की साइल का मक़सद ग़लत हो, शरीअत ने जिसे बहन क़रार दिया और उससे निकाह हराम किया वही शरई एतबार से बहैन है, इसके सिवा तो सारे मुसलमान (हज़रत आदम की औलाद होने की बिना पर) बहन भाई ही है, फिर अलग से रिश्ता कायम करने की हाजत ही क्या, गैर मेहरम से बहन बना कर रिश्ता रखना, मिलने या बिला वजह शरई बात करने की इजाज़त नही, और जो दिल से बहन माने या मुँह से ये आपके अपने मुंह का कहना है, अल्लाह ने जिससे आपस मे पर्दा फ़र्ज़ किया है, उससे पर्दा है, वरना अपने चाचा की लड़किया भी तो चाचाज़ाद बहन है, फिर शरीअत मे जब इनसे पर्दा करार दिया तो बाहर की बनाई रेडी - मेट बहन से कैसे मिलने बोलने की इजाज़त होगी.. इस तरह अपने मुँह से रिश्ता बदल कर, रिश्ता बना लेने वालो के बारे मे अल्लाह तआला का फरमान है सुरह अहज़ाब, आयात:4-5 "ये तुम्हारे अपने मुँह का कहना है, और अल्लाह हक़ फरमाता है
📚ह़वाला पर्दादारी, सफा नं.60
✒️मौलाना अब्दुल लतीफ नईमी रज़वी क़ादरी बड़ा रहुवा बायसी पूर्णियाँ बिहार
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