ग्रुप रज़ा कमेटी सेमरबारी दुदही कुशीनगर
सवाल
क्या फरमाते हैं मुफतिया ए किराम इस मसअला के बारे में की ज़ैद शादी शुदा है और 10 साल हो गए शादी को अब तक कोई औलाद नहीं हुई है ज़ैद अपनी साली से शादी करना चाहता है जो कि वह तलाकशुदा है इस हाल में क्या दोनों सगी बहने निकाह में रह सकती हैं जवाब मअ हवाला इनायत फरमाए नवाजिश होगी
साईल मोहम्मद आरिफ रज़ा फैजान शुएबुलऔलिया (मुंबई)
जवाब
पहली बहन के होते हुए उसकी दूसरी बहन से निकाह करना हराम अशद हराम है जैसा कि कुरान शरीफ में रब्बे कदीर इरशाद फरमाता है⤵️
तर्जुमा. यानी यह भी हराम है ख्वाह दोनों बहनों से निकाह के जरिए जिमा किया जाए
📚 (कंजुल ईमान पारा 4 सूर ए निसा आयत 23)
हां अगर पहली वाली बीवी का इंतकाल हो जाए या किसी शरई वजह से तलाक़ हो जाए तब इस सूरत में अपनी साली से निकाह कर सकता है कोई कबाहत नहीं
तंबीह ऐसा बिल्कुल ना करें कि अपनी साली को निकाह में लाने के लिए अपनी बीवी को तलाक़ दे दें क्योंकि बगैर किसी वजह से तलाक़ देना बहुत बड़ा जुर्म है जहन्नम में जाने का सबब है रही बात अब तक औलाद नहीं हुई है तो इसको चाहिए की दुआ करे सदक़ा खैरात करें नमाज़ पढ़े रब की बारगाह में गिड-गिडा ए इन शा अल्लाह उम्मीद पूरी होगी
कुरान शरीफ में है
अल्लाह की रहमत से ना उम्मीद मत हो
✍🏼 अज़ क़लम हज़रत मौलाना उबैदुल्लाह रज़वी बरेलवी साहब क़िबला
✍🏻 हिंदी ट्रांसलेट मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)
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