सवाल👇
एक सवाल अर्ज़ है कि टीचर डे मनाना और उसकी मुबारकबाद देना कैसा है जवाब इनायत फरमाए ?
साईल ⏩ परवेज़ आलम (देवरिया)
जवाब👇
टीचर डे मनाना जायज़ व दुरुस्त है और जायज़ काम की मुबारकबाद देना भी जायज है
मुफ्ती मेराज अहमद मिस्बाही साहब फतावा ए फिक़्ह मिल्त के हवाले से तहरीर फरमाते हैं ⤵️
यौम ए असातज़ा मनाना जाइज है ख्वाह किसी तारीख में भी हो उस मे असातज़ा की ताज़िम और उनकी शुक्र व अहसान की बजा आवरी है और अपने उसताज़ की ताज़िम जिस तरह भी की जाए दुरुस्त व जायज़ है लेकिन नाबालिक बच्चे अपना रुपया चंदा में नहीं दे सकते अलबत्ता घरवाले जो चंदा दें उसे वह पहुंचा सकते हैं
📚 (फतावा ए फिक़्ह मिल्त जिल्द 2 सफा 280)
और फतावा ए रिज़वीया के हवाले से तहरीर फरमाते हैं ⤵️
ताजदारे अहले सुन्नत हुजूर आला हजरत फाज़िले बरैलवी रज़ि अल्लाह ताला अन्ह तहरीर फरमाते हैं कि पिर व उसतादे इल्मे दीन का मर्तबा मां-बाप से ज्यादा है वह मरबई बदन है और यह मरबई रूह जो निस्बत रूह से बदन को है वहीं निस्बत असातज़ा से मां-बाप को है
📚 (फतावा ए रिज़वीया जिल्द नहूम सफा १४१)
📚 (माखूज़ ज़िया ए शरीयत जिल्द १ सफा १२३)
मालूम हुआ कि टीचर डे यौम ए असातज़ा मनाना जायज़ व दुरुस्त है कि उसमे असातज़ा की ताज़िम है. हां यह ख्याल रहे कि टीचर्स डे के ज़िम्न में उस दिन कोई ऐसा काम ना हो जो शरअन क़ाबिले गिर्फत हो
(वल्लाहो आलमो बिस्सवाब)
✍🏼 अज़ क़लम 🌹 ख़ाक पाए उलमा ए अहले सुन्नत सैयद शब्बीर अहमद मुस्तफाई डोडा जम्मू कश्मीर अल हिंद
✍🏻 हिंदी ट्रांसलेट 🌹 मोहम्मद रिज़वानुल क़ादरी सेमरबारी (दुदही कुशीनगर उत्तर प्रदेश)
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